भारत कर रहा है नाईजीरिया से रणनीतिक संबंध बढ़ाने का प्रयास, क्या होगा इसका फ़ायदा?

भारत कर रहा है नाईजीरिया से रणनीतिक संबंध बढ़ाने का प्रयास, क्या होगा इसका फ़ायदा?

नाईजीरिया ने जिस अवार्ड के साथ मोदी जी को सम्मानित किया है वह 1969 के बाद सम्मान पाने वाले पहले विदेशी नेता बन गए हैं।

 

Narendra Modi Nigeria Award: भारत के लिए यह बहुत गर्व की बात है जब संघीय गणराज्य नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद तीनुबु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नाइजीरिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ग्रैंड कमांडर ऑफ़ द ऑर्डर का नाइजर से सम्मानित किया। इस सम्मान ने मोदी जी की राजनेता क्षमता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व के माध्यम से दोनों देशों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। तो चलिए थोड़े और विस्तार से इन दोनों देशों के बीच होने वाली एक नई दोस्ती के बारे में जानते हैं।

मोदी को मिला सम्मान

 

नाईजीरिया ने जिस अवार्ड के साथ मोदी जी को सम्मानित किया है वह 1969 के बाद सम्मान पाने वाले पहले विदेशी नेता बन गए हैं। दूसरा यह सम्मान भारत के वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने को रेखांकित करता है, जो वैश्विक दक्षिण के प्रति मोदी की प्रतिबद्धता के लिए प्राप्त विश्वास और मान्यता को उजागर करता है। यह सम्मान पाने वाली एक मात्र अन्य विदेशी गणमान्य व्यक्ति महारानी एलिजाबेथ थी, जिन्हें नाइजीरिया के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद ही या सम्मान मिला था।

भारत और अफ्रीका के बढ़ते संबंध

 

पिछले साल सितंबर में भारत द्वारा g20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के दौरान भारत ने अफ्रीकी संघ को g20 में स्थाई सदस्य के रूप में शामिल होने का निमंत्रण दिया था, जिसका प्रतिनिधित्व अध्यक्ष अज़ली असोमानी कर रहे थे। अफ्रीकी देशों के साथ भारत के संबंधों की जड़े बहुत गहरी है लेकिन दशकों की कूटनीतिक बयान बाजी के बावजूद यह संबंध अक्सर ठंडा ही रहे मोदी को श्रेय दिया जाना चाहिए कि उन्होंने भारत अफ्रीका संबंधों को पुनर्जीवित किया उन्हें प्राथमिकता दी है और बहुआयामी साझेदारी को आगे बढ़ाया है।

भारत अफ्रीका संबंधों से क्या है फ़ायदा?

इन दोनों के बीच बढ़ते रिश्तों से कई फायदे हो सकते हैं, जैसे मोदी जी ने वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को मुख्य धारा के अंतरराष्ट्रीय विमर्श मिलाकर बहुपद के एक नए युग की शुरुआत की है, जो दोनों देशों के लिए काफी फायदेमंद है। भारत का दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, कि विकासशील देशों को वैश्विक आख्यान को आकार देने में अपनी बात कहने का अधिकार है। वैसे कई भारतीयों के लिए अफ्रीका के बारे में उनकी समझ महात्मा गांधी के साथ इसकी जुड़वा में निहित है जबकि गांधी ने भारत अफ्रीका एक जुट के लिए दार्शनिक आधार तैयार किया कुछ लोगों का तर्क है कि मोदी ने उसे दृष्टि को कार्रवाई योग्य प्रभावशाली नीतियों में बदल दिया है जिससे यह भारत के वैश्वीकरण नीति का आधार बन गई है।